Sunday, March 8, 2009

इंडिया टुडे

मैंने आज इंडिया टुडे पर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ का भाषण देखा, एक धूर्त चाल चलने की कोशिश उनके द्वारा की गई पर मौलाना मदनी ने जिस तरह से उन्हें मुह तोड़ जवाब दिया वो सही मायनो में लाजवाब था। मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहूँगा, जिस तरह से उन्होंने मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व किया है उससे पाकिस्तान को मुसलमानों के बारे में जो गलतफहमिया है वो शायद दूर होंगी । मुजे हमेशा से लगता है और सच भी है की आज इस वर्त्तमान समय में भारतीय मुसलमानों की जो दयनीय हालत है उसका सबसे बड़ा जिम्मेदार पाकिस्तान ही है। आज मुसलमानों पर शक किया जाता है वो सिर्फ़ पाकिस्तानी हस्तक्षेप और उनकी फैलाई दहशतगर्दी के कारण।

मैंने भी इस तरह के दर्द से गुजरा था और कभी कभी गुजरता भी हु, जहा मेरा मुस्लमान होना मेरे काम और मेरी कला पर हावी हो जाता है ।गम इस बात का नही की कोई मुझे शक की निगाह से देखता है पर गम तो इस बात का है की मेरे मज़हब को ही लोग शक की निगाह से देखते है। मेरे देशभक्ति पर भी शक इसीलिए होता है की मैं एक मुस्लमान हु । मेरी माँ मेरी हमेश ही मेरी फिक्र करती है क्योंकि ना जाने कब मुझे आतंकवादी बनाकर उठा लिया जाए। और यह सिर्फ़ मेरे साथ नही हो रहा यह हालत तक़रीबन सभी मुस्लिम युवा वर्ग की है । इन सभी का जिम्मेदार पाकिस्तान है । मजहब के नाम पर जो खुनी खेल खेला जा रहा है उसका शिकार न सिर्फ़ शारीरिक है बल्कि उससे ज्यादा मानसीतौर पर लोगशिकार हो रहे है। मैं यह नही कह रहा की सारा पाकिस्तान यह कर रहा पर जो लोग ये सब कर रहे है वो सभी अमनपसंद और आम मुसलमान को परेशां कर रहे है।

अगर कोई दहशतगर्द दिमाग मेरे इस ब्लॉग को पढ़ रहा है तो वो ये समज़ ले , अल्लाह रब्बुल आलमीन है न की रब्बुल मुस्लिमीन है । अगर हमारे प्यारे रसूल (स.) यही सब करना चाहते तो उनके पास अली (.), अबू बकर (।), हजरत बिलाल (।) और ऐसे कितने ही चाहनेवाले थे जो तलवार की नोक पर लोगो में इस्लाम फैला सकते थे पर हमरे रसूल ने हमें ऐसा सिखाया ही नही वो तो इन सभी चीजों के खिलाफ थे ।

मुज्ज्हे हैरानी तो इस बात की है की अमेरिका से भीक मांगकर खाना खानेवालो को अभी तक शर्म नही आई, मुसलमानों की बात करते है और इस्राइल के सबसे बड़े सजिदार से भिक मांगते हो यह कैसे हो रहा है ? ऐसा ही कुछ हाल हमारे मुल्क में भी है, जितना पैसा सुरक्षा के नाम पर खर्च होता है उसका अगर ५० % भी आम गरीबो के लिए खर्च किया जाए तो फिर कभी यहाँ "स्लम ka कुत्ता" जैसी फ़िल्म नही बनेगी ।

और रहा कश्मीर का मुद्दा दोनों मुल्को के सियास्तादान यह नही चाहते के कश्मीर का मसला हल हो अगर वोह हल हो जायेगा तो जनता शायद विकास के बारे में बात करेने लगेंगी जो अभी तक नही के बराबर है। एक रोचक तथ्य ये भी है की जितना कब्जा कश्मीर पर पकिस्तान ने किया उससे थोड़ा कम चीन ने भी कब्जा किया हुआ है पर हमारे लोग सिर्फ़ पाकिस्तान को आँख दिखाते है। मतलब ये कतई ये नही है की पाकिस्तान सही है बल्कि हमारे धरती पर चीन ने भी कब्जा किया है में यह याद दिलाना चाहता हु।

आख़िर कब तक मजहब के नाम पर हिंदोस्ता और पाकिस्ता बाटोंगे,
ज़मीनों तो बट चुकी है अब क्या आसमा भी बाटोंगे ?




7 comments:

  1. Dear sajed, i always amaze why we have so touching about religion? & is it possible that we will leave without religion ? because i don't know why we feel so proud on religion not only in muslin but also in hindu, Christan & every religion.
    i wish a day will come where we will leave in a society where humanity is the our religion.
    nice post,

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  2. "परिंदों में तो ये फिरकापरस्ती भी नहीं देखी,कभी मंदिर पर जा बैठे कभी मस्ज़िद पर जा बैठे."....आपने यहां जो लिखा हैं मैं तो कहती हूं वो हिन्दुस्तान में रहने वाले सभी लोगों को पढ़ना चाहिए वाकई साजिद जी.. जो आपने लिखा हैं वैसा होते मैने अपनी आंखों से अपने सामने देखा हैं कभी-कभी समझ नहीं आता कि हम अपने ही घर में, अपनों को क्यों नहीं समझ पा रहें हैं हैरानी की बात तो ये है कि जो जितना पढ़ा लिखा हैं ऐसी सोच का उतना ज्यादा शिकार हैं मैं दुआ करती हूं कि आने वाले समय में लोग इन बातों को समझे और हमारे देश में सिर्फ प्यार और अमन का माहौल हो...सुम्मा आमीन....
    सुधी सिद्घार्थ

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  3. sirji, great ! but "yeh india meri jaan" yaha log badalenge hi nahi shayad hamein badalne ke liye sadiya lag jayengi

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  4. होली की हार्दिक् बधाईयां।
    शुभकामनाएं।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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  5. चिटठा जगत में स्वागत है.
    आपने सही नुक्ता उठाया है. बात अगर आज यहाँ तक पहुंची है तो इसलिए कि हिन्दुस्तानी मुसलमानों ने आज तक, अपने समुदाय की तरफ से फिरकापरस्ती का खेल खेलने वालों के खिलाफ, अपने होंठ सी रखे थे. और आप तो जानते ही हैं कि "खामोशी नीम रजा" होती है. पहले ही इन्हें पलटकर जवाब दे दिया गया होता तो आज न तो पाकिस्तान की हिम्मत होती और न ही छद्म सेकुलरिस्टों की कि वे भारतीय मुसलमानों को अपना औजार बनाते.

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  6. निवेदन है कि ब्लॉग हिन्दी में चलायें और सतत लिखें ।

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