Wednesday, April 22, 2009

चैनलों की भरमार, सबका बुरा हाल ......

पढ़ पढ़ पोती, कोई पंडित न होवे
जो देखे चार चैनल हर रोज़, तो पंडित होवे.

मुझे यकीं है है आप लोग हैरत में नही पड़ेंगे, और आप अगर हैरत मैं पड़ जाओंगे तो आपके भारतीय होना का शक है।

आज के दौर मैं जहा हर कोई अपना चैनल ला रहा है तो वोह दिन दूर नही जब आपके टीवी पर १००० से ज्यादा न्यूज़ चैनल होंगे जहा पर आप पत्रकारिता धज्जिया उड़ते देंखेंगे।

आप लोग यकीं जानिए जब भी मैं उब जाता हु और मुझे हसना होता है मैं तुंरत इंडिया टीवी चैनल सेट कर देता हु जहा रजत शर्मा और उनके टीम पत्रकारिता की धज्जिया उड़ाते देखे जा सकता है। और लगभग यही हाल हर न्यूज़ चैनल का है (एक्सेप्ट ndtv) ।

पत्रकारिता" केवल काम नही है ये तो एक मिशन है, समाज को जागृत करने का, समाज में बदलाव लाने का. पता नही टी आर पि की भागदौड़ में ये चैनल के पत्रकार या उनके मालिक अपना मकसद पुरा करेंगे या नही।

मैं यहाँ पर विनोद दुवा और उनके साथियों का जिक्र करना चाहूँगा जिन्होंने "पत्रकारिता" का सम्मान किया और रखा है और इसीलिए मेरे जैसे लोगो आस्था इनमे बाकी है। ख़बर के नाम पर कचरा परोसने वालो को ये समझना चाहिए की वे जनता की आँख और कान है, वे लोकतंत्र की नींव है ।


और अंत मैं कुश सम्मानीय टिप्पणिया ............

इंडिया टीवी- पत्रकारिता की तो ऐसी की तैसी...... ।
स्टार न्यूज़- चैन से सोना हो तो स्टार न्यूज़ या उसके प्रोग्राम न देखे .....।
आज तक - ६ सालो से सबसे उम्दा पकाऊ चैनल ।
आय बी एन - ये ख़बर सबसे पहले हमने दिखाई (जो अब तक घटी ही नही) ।
तेज़ - आपके सितारे गर्दिश मैं है .....अंधविशवास बढाओ, टी आर पि घटाओ।
सुदर्शन- ख़बर किसी और की, विडियो किसी और का।
जी टीवी - हमारा मकसद - आय पि एल और बी सी सी आय की बदनामी करते रहना, देश में कुछ भी हो।
सहारा टीवी- यार मिला और न मिला विसाले सनम, न चैनल चला न चलेंगे हम ।