Tuesday, March 3, 2009

मेरा देश

भारत एक ऐसा देश जो कभी सोने की चिडिया कहलाता था कुछ महीनो बाद फिर से सोने की खान बन जायेगा क्योकि चुनाव आनेवाला है। मैं हमेशा से हैरान रहा की जिस देश में गरीबी, बेरोजगारी और भूख है वहा इतना सारा पैसा चुनाव में कैसे बह जाता है ? यह हार् सिर्फ़ हमारे लोकतंत्र की नही बल्कि हमारी नज़रान्दाजी का नतीजा है । हम लोग केवल एसी ऑफिस या घरो में बैठकर दुसरो को इस बदहाली का जिम्मेदार मानते है। अब भी वक्त है इस समाज को बदलने का नही तो आनेवाला समय में हमारे इस गलती की सज़ा हमारे आनेवाली पीढी को भुगतनी पड़ेंगी । एक शायर ने कहा है "नज़र बदलो नज़ारे बदल जायंगे" अब भी वक्त है नींद से जागने का नही तो कहना पडेंगा "एक ही उल्लू काफी था बरबादे चमन के लिए, यहाँ तो हार् शाख पैर उल्लू बैठा है सोचे अंदाजे गुलिस्ता क्या होंगा ?

1 comment:

  1. क्या बात है जनाब आपने बहुत ही सरलता से इतनी बड़ी बात कह दी..हमारा देश हिन्दुस्तान क्या कहने यहां के..मिट्टी की खुशबू से लेकर सड़क पर दौड़ती मरसडीज़ तक सब यहां की कहानी सुनाते हैं..आपने भी कहां चोट करने की कोशिश की हैं..वहां जहां सब बहरे हैं..इनके लिए एक शेर कहूंगी "अपनी नज़रों से कभी नज़रे मिलाकर देखना मर चुके हो तुम ये ख़बर मिल ही जाएगी".। पहचान गए न आप भी ये वही लोग हैं जो हमारे देश को चलाने का दावा करते हैं। जिनका मकसद सिर्फ अपनी जेबे भरना हैं। कहीं पानी हो या न हो पर इन्हें मिनीरल वॉटर चाहिए..किसी के पास दो वक्त की रोटी नहीं और इनके घरों में नोटों के बोरों में भी दीमक लग रहीं हैं फिर भी इनका पेट नहीं भरता.. जब तक इन जैसे लोगों के हाथों में देश की बागडोर रहेगी क्या हो सकता हैं। और रहीं हम सब की बात तो 'घर की सफाई में हाथ गंदे कौन करे'...अब तो वही हालात हैं जो कभी दुष्यंत कुमार जी ने कहा था..."कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहना हुआ, मैनें पूछा नाम तो वोला की हिन्दुस्तान हैं ।"..जय हिन्द !!!!...
    सुधी सिद्घार्थ

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